रस्म भर न रह जाए शिक्षक दिवस

रस्म भर न रह जाए शिक्षक दिवस



सारे देश में आज शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाए गए  इसी धूमधाम बीच में कुछ सोचते हैं जरा सोचें कि आज हमारे समाज में शिक्षा और शिक्षक के पेशे को कितना सम्मान  दिया जाता है ? क्या आज हम अपने पुराने शिक्षक से मिलकर उतने ही भाव-विभोर होते हैं जितना किसी नेता,अभिनेता,क्रिकेटर,डांसर,गायक या साधु संत से मिलने पर होते हैं ?


लोग किसी विशेष व्यक्ति का तो फैन होते जा रहे हैं लेकिन वही लोग शिक्षक को मान सम्मान करना भूल गए ,सामने शिक्षक हैं तो गुड मॉर्निंग,नमस्ते,प्रणाम .....!जैसे वर्ल्ड का प्रयोग करते है, शिक्षक गए 5 सेकंड में ही उनका नजरिया बदल जाता है और न जाने उनके लिए किस शब्द का इस्तेमाल करता है उसको मैं बयाँ नही कर सकता।

गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था गिरती हुई  संस्कार का परिणाम हैं।
लोगों ने शिक्षक दिवस को तो सिर्फ मौज मस्ती का दिन समझ रखा है लगभग सब मूल सिद्धांत सें भटक चुके हैं, जबसे सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई और मिनटों में केक मिलना चालू हो गया लोगों ने तो शिक्षक दिवस को सारा दिन उसी केक में उलझा कर रख दिया।

कुछ ऐसे बातें होते हैं जो हमें उन किताबों की सिलेबस के बाहर की बातें होती है।

और वह एक अनुभव होता, और वो बातें ऐसे दिनों ही शिक्षक से सुनने को मिलता है हमने उसे सुनना छोड़ दिया और अपने संस्कार को समाप्त कर कर दिया।

उन लोगों को कोटि-कोटि बधाई जिनको इसी दिन अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मौज मस्ती करने का मौका मिल जाता।

                 Mukesh Kumar
            Student Of Pharmacy
 

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