पढ़ने वाला छात्र कहीं भी पढ़ सकता है" तो लगातार बिहार का टॉपर किसी प्राइवेट इंस्टीट्यूट से ही क्यों होता है ?
लगातार बिहार का टॉपर किसी प्राइवेट इंस्टीट्यूट से ही क्यों होता है ?
गोल इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाला छात्र NEET परीक्षा में बिहार टॉप किया है बहुत गर्व हो रहा है बिहारियों को...
" अपनी मौत पर भी लोगों को गर्व होने लगा"
बिहार सरकार के किसी भी कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र बिहार टॉपर क्यों नहीं ?यह सवाल आपको खुद से और सरकार से पूछना चाहिए। "पढ़ने वाला छात्र कहीं भी पढ़ सकता है" तो लगातार बिहार का टॉपर किसी प्राइवेट इंस्टीट्यूट से ही क्यों होता है ? (अपवाद को छोड़कर)
लगातार मोटे रकम देकर पढ़ने वाले इंस्टिट्यूट से ही बच्चे टॉप करते हैं इससे तो यह स्पष्ट हो गया है कि पढ़ने वाला बच्चा कहीं भी पढ़ सकता है लेकिन टॉप करना मुश्किल है टॉप करने के लिए उसे बिहार के सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ना होगा मोटी रकम देकर GOAL और Akash जैसे इंस्टीट्यूट में ही पढ़ना होगा।
सरकार की लगातार शिक्षा विरोधी नीति के कारण आज बिहार के सरकारी कॉलेज और सरकारी स्कूल की स्थिति बद से बदतर बन गया है।
उच्च विद्यालय और + 2 के तो ऐसे हालात बने हुए हैं एक भी बच्चा बिना किसी प्राइवेट से पढ़े बिना पास करने की कल्पना भी नहीं कर सकता, सरकारी स्कूल सिर्फ फार्म भरने और परीक्षा लेने मात्र ही हैं। इन प्राइवेट इंस्टीट्यूट से नेताओं को मोटी रकम में चंदा मिलती है। यह गरीबों के जनप्रतिनिधि माफियाओं के जनप्रतिनिधि बन गए हैं कुछ दिनों बाद बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट का एनुअल फंक्शन किया जाएगा और उन्हें हमारे नेता उद्घाटन कर्ता के रूप में मुख्य अतिथि होंगे।
हम जिन्हें जनप्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं वह सरकारी संस्थानों के हालात को सुधारने के सिवाए प्राइवेट इंस्टीट्यूट से चंदा लेने के लिए गुलाम बन जाते हैं और गरीब बच्चों के न्ननी सी जान को बली का बकरा बना देते हैं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित इनके फंक्शन का मुख्य अतिथि होते हैं। यदि इन जनप्रतिनिधि सरकारी विद्यालय के हालातों को समझने के लिए उस प्राइवेट इंस्टीट्यूट के मुख्य अतिथि होने से बेहतर समझते तो आज हमारे सरकारी इंस्टीट्यूट का हालात बद से बदतर नहीं होती। आप में भी कमजोरी है उन प्राइवेट इंस्टीट्यूट से पढ़े हुए बच्चे को प्रोत्साहन देने हैं और लगातार बधाइयां दे रहे हैं,सिवाय उन गरीब बच्चों के हालातों को जाने बगैर जिन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई गांव के सरकारी कॉलेजों से किया।
सरकारी विद्यालय में ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जिससे कि कोई फंक्शन कराकर जनप्रतिनिधि को सरकारी स्कूलों को हालात को समझने के लिए बुलाया जाए। हमारे जनप्रतिनिधि को वैसे तो आना दूर की बात है बुलाने पर भी नहीं आते।
जब अपने मौत पर भी गर्म होने लगे तो खैर इन सब बातों में क्या दम है आप ने सरकार से सवाल पूछने का क्षमता खो दिया है और हमारी मीडिया बिकाऊ हो गई है मीडिया बिक गई है लगातार मीडिया इंस्टीट्यूट के टॉपर बच्चे को ही दिखाएगी क्योंकि उसे खरीद लिया गया है।
अगर अभी भी ली आप में उन गरीब बच्चों और आपको अपनी बच्चों की चिंता है तो सरकार से सवाल पूछिए कि लगातार सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे टॉप क्यों नहीं कर रहे हैं ? टॉपर सिर्फ प्राइवेट इंस्टीट्यूट से क्यों होते हैं।
प्रदेश सचिव,जन अधिकार छात्र परिषद
Mob.No:-7654169767
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