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Showing posts from September, 2019

"PHARMACISTS IS WHERE, MEDICINA IS THERE"

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       "PHARMACISTS IS WHERE, MEDICINA IS THERE" Pharmacists:- Pharmacist is a unique term that identifies a pharmaceutical specialist.  This degree is conferred on the holder of two-year diploma and four-year degree in pharmacy field.  The person receiving this degree is considered an expert in all fields related to medicine.  Pharmacists are prepared to play an important role responsibly in the manufacture and storage of a drug. WORLD PHARMACISTS DAY ◆ Role Of Pharmacist In Society :- Pharmacists have a major role in society and just as a doctor masters the examination of diseases, as like pharmacist is a complete expert in medicine.  Seeing the knowledge and responsibility of the pharmacist, he has given the slogan of " PHARMACIST WHERE MEDICINA IS THERE ". Socially, the pharmacist is the key link between the doctor and the patient, which establishes coordination between the doctor and the patient, the pharmacist dis...

Difference between primary, secondary & tertiary packaging

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Difference between primary, secondary & tertiary packaging ● Primary Packaging :- Primary packaging is the packaging in direct contact with the product. E.g- For syrups the primary packaging would be a battle. ● Secondary Packaging :- Secondary packaging's main purpose is branding display and decorate but protect during storage and supplying E.g- Secondary packaging for syrups includes syrups carry packs ● Tertiary Packing:-  It packaging facility the protection handling and transportation E.g - Below

रस्म भर न रह जाए शिक्षक दिवस

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रस्म भर न रह जाए शिक्षक दिवस सारे देश में आज शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाए गए  इसी धूमधाम बीच में कुछ सोचते हैं जरा सोचें कि आज हमारे समाज में शिक्षा और शिक्षक के पेशे को कितना सम्मान  दिया जाता है ? क्या आज हम अपने पुराने शिक्षक से मिलकर उतने ही भाव-विभोर होते हैं जितना किसी नेता,अभिनेता,क्रिकेटर,डांसर,गायक या साधु संत से मिलने पर होते हैं ? लोग किसी विशेष व्यक्ति का तो फैन होते जा रहे हैं लेकिन वही लोग शिक्षक को मान सम्मान करना भूल गए ,सामने शिक्षक हैं तो गुड मॉर्निंग,नमस्ते,प्रणाम .....!जैसे वर्ल्ड का प्रयोग करते है, शिक्षक गए 5 सेकंड में ही उनका नजरिया बदल जाता है और न जाने उनके लिए किस शब्द का इस्तेमाल करता है उसको मैं बयाँ नही कर सकता। गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था गिरती हुई  संस्कार  का परिणाम हैं। लोगों ने शिक्षक दिवस को तो सिर्फ मौज मस्ती का दिन समझ रखा है लगभग सब मूल सिद्धांत सें भटक चुके हैं, जबसे सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई और मिनटों में केक मिलना चालू हो गया लोगों ने तो शिक्षक दिवस को सारा दिन उसी केक में उलझा कर रख दिया। कुछ ऐसे बातें होते...